बंधुता, समता, स्वतंत्रता, न्याय से बनता है ‘एक राष्ट्र’, न कि भूलने सेः सत्येन्द्र मुरली
संविधान लागू होने के दिन अर्थात गणतंत्र दिवस के मौके पर यह कह देना कि ‘देश से प्यार करते हैं तो भूलना सीखें’, यह एक छलावे से कम नहीं है। जहां तक मैं समझता हूं, यह कहना सरासर नासमझी होगी कि भूल जाने की वजह से ही इटली एक राष्ट्र बना है या फ्रांस भी … Continue reading बंधुता, समता, स्वतंत्रता, न्याय से बनता है ‘एक राष्ट्र’, न कि भूलने सेः सत्येन्द्र मुरली
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